Millions of the country's ruined. The players' futures were ruined

देश का करोड़ों बर्बाद, खिलाड़ियों का भविष्य चौपट, कौन है जिम्मेदार?

क्लीन बोल्ड/राजेंद्र सजवान

‘लगभग दो साल की मेहनत , यूरोप, लेटिन अमेरिका, एशिया के देशों के दौरे और लाखों करोड़ों के खर्च और नतीजा …’जहां से शुरू किया था वहीं आ कर ठिठक गए’। यह कहानी है भारतीय महिला फुटबाल टीम की जोकि अपनी मेजबानी में AFC एशिया कप महिला फुटबाल टूर्नामेंट में भाग लेने उतरी थी। लेकिन कोरोना के कहर के चलते मेजबान लड़कियों को एक ड्रा मैच के बाद बाहर का रास्ता देखना पड़ा। मामला गंभीर है लेकिन एआईएफएफ ऐसे ट्रीट कर रहा है जैसे कुछ हुआ ही नहीं।

पुरुष फुटबाल में लगातार नाकामी के बाद महिलाओं ने जो थोड़ी उम्मीद जगाई थी उस पर महामारी भारी पड़ी और महिला टीम का विश्व कप खेलने का सपना टूट गया, ऐसा भारतीय फुटबाल फेडरेशन के दो बड़ों, अध्यक्ष प्रफुल पटेल और सचिव कुशल दास का मानना है। लेकिन क्या सचमुच मेजबान टीम में ऐसा कुछ था,जिसके चलते उसके दुर्भाग्य का रोना रोया जाए?

सच्चाई यह है कि भारतीय टीम ने ईरान के विरुद्ध ड्रा मैच खेल कर अपने कौशल का प्रदर्शन कर दिया था। यदि उस एक मुकाबले के आधार पर टीम का आकलन किया जाए तो साफ नजर आया कि मेजबान टीम किसी भी सूरत में महाद्वीप की श्रेष्ठ टीमों में स्थान पाने लायक नहीं थी। ईरान जैसी नौसिखिया टीम के विरुद्ध किया गया प्रदर्शन बताता है कि महिला टीम पर बेकार ही देश का करोड़ों बर्बाद किया गया। खेल मंत्रालय, खेल प्राधिकरण और प्रायोजकों ने जो खर्च किया, फेडरेशन की नासमझी और नाकारापन के कारण बेकार गया।

लेकिन गलती खिलाड़ियों की नहीं है। इन खिलाड़ियों को लगातार अभ्यास कराया जाए , अंतरराष्ट्रीय अनुभव दिलाया जाए तो महिला टीम आने वाले कुछ सालों में एशिया की पहली पांच छह टीमोंमें जगह बना कर विश्व कप खेलने केकरीब पहुंच सकती है। फिलहाल भारतीय महिला फुटबाल सालों पीछे चली गई है।

सवाल यह पैदा होता है कि भारत में फैलते कोरोना और ओमिक्रान के बारे में क्या एआईएफएफ को जानकारी नहीं थी? मुम्बई और पूरा महाराष्ट्र बुरी तरह बीमारी की चपेट में है। पता चला है कि टूर्नामेंट की तिथियां आगे बढ़ाने के सुझाव भी दिए गए थे जिस पर फेडरेशन ने गौर नहीं किया। आरोप तो यह भी लगाया जा रहा है कि मेजबान टीम चीन और चीनी ताइपे से बड़ी हार के डर से बीमार पड़ गई!

कहा यह जा रहा है कि एआईएफएफ अध्यक्ष प्रफुल पटेल वाह वाह पाने के लिए अपने कार्यकाल में आयोजन चाहते थे। लेकिन मेजबान टीम 13 जरूरी खिलाड़ी नहीं जुटा पाने के कारण दौड़ सेबाहर हो गई, जोकि बेहद शर्मनाक स्थिति कही जा रही है। शायद विश्व भर के खेलों में अपनी किस्मकि का यह पहला शर्मनाक मामला है। क्या भारत सरकार और खेल मंत्रालय दोषियों को खोज कर दंडित करना चाहेंगे? मामला गंभीर है, हल्के में लेना ठीक नहीं होगा।

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