Memories of Dilip sahab with the world winning Indian hockey team and me

दिलीप साहब की यादें विश्व विजेता भारतीय हाकी टीम और मेरे साथ।

  • वह भारत की गंगा जमुना तहजीब के सच्चे प्रतिनिधि थे।
  • वह आदम कद थे।

(अशोक कुमार ध्यानचंद की कलम से)

world champion and hockey Olympian Ashok Dhyanchand

हमारे दिल में बसने वाले हमारी जिंदगी के हीरो दिलीप कुमार नही रहे यह बात सुनकर न तो यकीन होता है और न ही इस समाचार पर विश्वास होता है की दिलीप कुमार जिन्होंने अपनी अदाकारी और आकर्षक अभिनय से हम करोड़ों देशवासियों को दशकों तक मंत्रमुग्ध और सम्मोहित करके बांधे रखा, एक अद्भुत क्षमता के धनी दिलीप कुमार साहब अब नही रहे है। मैं स्वयं फिल्मों को देखने और पुरानी फिल्म संगीत का बेहद शौकीन रहा हूं और आज भी मेरा ज्यादा वक्त हांकी की यादों के साथ पुरानी फिल्में और पुराने फिल्मी गानों के साथ ही गुजरता है।

मैं खुद पुराने फिल्मी गायकों और कलाकारों के बहुत निकट पाता हूं लेकिन हम भारतीय विश्व कप विजेता भारतीय हांकी टीम सदस्यों की सुनहरी यादें दिलीप साहब के साथ जुड़ी हुई है और इसलिए आज उनके निधन के समाचार से मैं और मेरी विश्व कप विजेता भारतीय हांकी टीम प्रत्येक सदस्य दुःख के सागर डूबा हुआ है।

जब हम १९७५ विश्व कप हांकी प्रतियोगिता जीतकर मलेशिया से भारत वापस आए तो मायानगरी बंबई में हमारे सम्मान में राजकपूर साहब ने वानखेड़े स्टेडियम में फिल्मी दुनिया के उस वक्त के प्रसिद्ध फिल्मी कलाकारों अभिनेता और अभिनेत्रियों के साथ एक मैत्री हांकी मैच का आयोजन किया जिसमें उस समय के लगभग सभी फिल्मी सितारों ने हमारे साथ जी भरकर हांकी खेली हम लोगो के जीवन मे ये पल बहुत ही यादगार और सुनहरे आनंददायक अविस्मरणीय पल थे किंतु इस मैच में फिल्मी दुनिया के दो बड़े कलाकार दिलीप कुमार साहब और देवानंद साहब शामिल नहीं थे जो हमारे सबके लिए आश्चर्य का विषय रहा।

लेकिन उसी रात दिलीप कुमार साहब ने पूरी भारतीय विश्व चैंपियन भारतीय हांकी टीम के सदस्यों को रात्रिकालीन भोज पर अपने निवास स्थान पर आमंत्रित किया जिसमे मुझे छोड़कर बाकी सभी विश्व कप विजेता हांकी टीम के सदस्य शामिल हुए। मैं किसी और मेहमान को पहले से ही रात्रि भोजन के लिए समय दे चुका था इस वजह से मैं दिलीप कुमार साहब के भोज में उपस्थित नहीं हो पाया था।

जब वहां बात निकली तब उन्होंने मेरे विषय में पूछा की फाइनल में विजयी गोल दागने वाले हमारे अशोक कुमार कहा हैं? यह बात मुझे बाद में मेरे इंडियन एयरलाइंस में टीम के सदस्य महबूब खान साहब ने बतलाई।

मुझे इस बात का हमेशा अफ़सोस रहता है की मै दिलीप कुमार साहब जैसी शख्शियत से मिल नही पाया और मैं हमेशा सोचता रहा की काश दिलीप कुमार साहब से उस डिनर में मेरी मुलाकात हो पाती किंतु कुछ वर्षो बाद में वह पल आया जब मैं दिल्ली एयरपोर्ट पर अपनी ड्यूटी करने पंहुचा तब ही महबूब खान साहब ने मुझे आवाज दी की उनकी मुलाकात दिलीप कुमार साहब से वी आई पी लाउंज में अभी अभी हुई है और आपका ही जिक्र निकला है। चलिए उनसे दो मिनट मुलाकात कर लेते है। मैं और महबूब खान दोनो उनके पास पहुंचे उन्होनें मुझे दिलीप कुमार साहब से मिलवाया।

मैने सबसे पहले उस दिन डिनर में शामिल न होने के लिए उनसे माफी मांगी और उसके बाद उन्होंने जो उदगार हम खिलाड़ियों के लिए वयक्त किए वे आज भी मेरी जिंदगी के लिए अमूल्य शब्द है जिन्हे मैं अपनी अंतिम सांसों तक भुला नहीं सकता हूं और जिन शब्दो से हम खिलाड़ी हमेशा अपने जीवन में प्रेरणा ले सकते हैं।

उन्होने अपनी खनकती हुई आवाज में कहा अशोक कुमार हम फिल्मी दुनिया के अवश्य हीरो हैं, जो केवल अपने प्रसंशको के दिलो में बसते है। लेकिन आप लोग मैदान पर जो कामयाबी हासिल करते हैं, आप ऐसे हीरो होते है जिन पर पूरा देश गर्व करता है । क्योंकि आप देश का परचम लहराने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं।

उनके कहे ये शब्द आज भी प्रासंगिक हैं। जब हमारे खिलाड़ी ओलंपिक में भाग लेने थोड़े दिनों बाद ही टोक्यो जापान रवाना होने वाले है ।एक खिलाड़ी का कया महत्व होता है, दिलीप कुमार साहब के साथ एयर पोर्ट पर हुई वह पांच मिनट की मुलाकात मेरे खेल जीवन की ऐसी घटना है जिसने उन पांच मिनट मे मेरे विश्व विजेता बनने का मुझे एहसास करा दिया था।

दिलीप साहब ने अनेकों फिल्मों में बेहतरीन अदाकारी से हमारे दिलो पर राज किया किंतु उनकी एक फिल्म जिससे मैं सबसे ज्यादा प्रभावित रहा हूं वह फिल्म थी कोहिनूर जिसमे दिलीप साहब के अभिनय ने सब कुछ कर दिखाया जिसके लिए एक फिल्म का निर्माण होता है। कॉमेडी ,मारधाड़ , ट्रेजडी , और कौनसा अभिनय है जो दिलीप साहब ने कोहिनूर फिल्म में नही किया हो।

वास्तव में उनकी भूमिका किसी कोहिनूर हीरे से कम नहीं रही है बल्कि वे वास्तव में भारत के वे चमकते कोहिनूर थे जिसके कारण भारत रोशन होता था ।पतंग उड़ाने के बेहद शौकीन इंसान जो हमे अपने अभिनय से धरती से आसमान में उड़ा ले जाते थे अपने अरमान और सपनो के साथ। दिलीप कुमार साहब भारत की गंगा जमुना तहज़ीब के सच्चे प्रतिनिधि थे जो अपने अभिनय में भी उन भावनाओ को उतार देते थे जिसका वे प्रतिनिधित्व करते थे गंगा जमुना फिल्म का वह आखिरी दृश्य जिसमे वे “हे राम” कहते है आज भी ये दो शब्द मेरे कानो में गूंज उठते हैं।

वास्तव में दिलीप कुमार साहब के दिल में केवल भारत बसता था और वे भारत की इसी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए जीते थे ।आज उनके निधन पर मेरी पूरी विश्व भारतीय हांकी टीम सदस्यों की ओर श्रद्धासुमन अर्पित है। उनकी अदाकारी उनका व्यक्तित्व उनके आदर्श हमेशा हमेशा देश का मार्गदर्शन करते रहेंगे।

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