Sports spirit of Tata Motors 'Tata Altroz' gift to Olympic medalists

टाटा मोटर्स की खेल भावना: ओलंम्पिक पदक चूकने वालों को ‘टाटा अल्ट्रोज’ का तोहफा।

राजेंद्र सजवान/ क्लीन बोल्ड

ओलंम्पिक पदक हर एक खिलाड़ी के भाग्य में नहीं होता। कड़ी मेहनत के बाद भी कुछ एक करीब से चूक जाते हैं, जिन्हें प्रायः भुला दिया जाता है। हालांकि टोक्यो ओलंम्पिक के पदक विजेता खिलाड़ियों के लिए लगभग रोज ही कहीं न कहीं सम्मान समारोहों का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन यहां होटल हयात में टाटा मोटर्स ने उन खिलाड़ियों को समानित कर मिसाल कायम की जोकि पदक के एकदम करीब पहुंच कर चुके गए थे।

कप्तान रानी रामपाल के नेतृत्व में चौथा स्थान पाने वाली भारतीय हॉकी टीम की 16 खिलाड़ियों कप्तान रानी रामपाल, नेहा गोयल,नवनीत कौर, उदिता, वंदना कटारिया, निशा वारसी, सबिता पूनिया, मोनिका मालिक, दीप ग्रेस एक्का, गुरजीत कौर, नवजोत कौर, शर्मिला देवी, सुशीला चानू सलीमा टेटे, निक्की प्रधान, रजनी मारतू , मुक्केबाज सतीश कुमार, पूजा रानी, डिस्कस थ्रोवर कमल प्रीत कौर और पहलवान दीपक पूनिया को ‘टाटा अल्ट्रोज’ भेंट कर सम्मानित किया गया।

टाटा की भेंट पाने के बाद खिलाड़ियों ने कहा, ‘ऐसा सिर्फ टाटा ही कर सकते हैं। उनका दिल बहुत बड़ा है” टाटा मोटर्स के अध्यक्ष शैलेश चंद्रा ने सभी खिलाड़ियों को टाटा अल्ट्रोज गाड़ी की चाबियां प्रदान कीं।

सम्मान समारोह के चलते तमाम खिलाड़ियों ने माना कि उनको दिया गया सम्मान बहुत बड़ा है लेकिन यह जान कर हैरानी भी हुई कि सम्मानितों में से ज्यादातर खिलाड़ी चोटिल हैं और आगामी अंतर राष्ट्रीय आयोजनों में भाग नहीं ले पाएंगे।

चोट कितनी गहरी:

इसमें दो राय नहीं कि खेल और चोट का रिश्ता मानव सभ्यता जितना पुराना है। लेकिन यह जान कर हैरानी हुई कि टोक्यो में रणबांकुरों की तरह लड़ने वाले और बेहतर टीमों एवम खिलाड़ियों को टक्कर देने वाले हमारे ज्यादातर खिलाड़ी किसी न किसी चोट से परेशान हैं और अंतर राष्ट्रीय आयोजनों में भाग लेने से कतरा रहे हैं।

टोक्यो से लौटने के बाद हमारे बहुत से खिलाड़ी अनफिट क्यों हैं? इस सवाल के जवाब में कुछ एक का कहना है कि लगातार सम्मान समारोहों में शामिल होना पड़ रहा है, जोकि अच्छा लगता है। लेकिन ट्रेनिंग के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने के कारण कुछ एक अंतर राष्ट्रीय आयोजनों में भाग नहीं ले रहे।

ओलंम्पिक में जानदार प्रदर्शन करने वाली कुछ लड़कियों ने कहा कि उन्हें ट्रेनिंग नहीं करने का दुख है लेकिन उन्होंने पिछले कई सालों में कड़ी मेहनत की है। वे अब रिलैक्स की हकदार हैं। दीपक पूनिया और थ्रोवर कमल प्रीत के कन्धे में चोट है, जिस कारण से उन्हें बड़े आयोजन छोड़ने पड़ रहे हैं।

कुल मिला कर टाटा की भेंट से जहां एक ओर पदक गंवाने वाले खिलाड़ी गौरवान्वित महसूस कर रहे थे तो दूसरी तरफ उन्हें इस बात का डर है कि यदि इसी प्रकार स्वागत समारोहों में भाग लेना पड़ा तो उनकी वर्षों की मेहनत पर पानी फिर सकता है।

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