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Tokyo Olympics 2020 Medal claim again in athletics

एथलेटिक में फिर पदक का दावा, लेकिन पता नहीं कौन जीतेगा!

क्लीन बोल्ड/राजेंद्र सजवान हालांकि सरदार मिल्खा सिंह और पीटी उषा के प्रदर्शन भारतीय खेलों में हमेशा हमेशा के लिए अपना अलग स्थान बना चुके हैं और जब कभी भारत के श्रेष्ठ एथलीटों की चर्चा होगी तो मिल्खा और उषा उड़न सिख एवम उड़न परी के रूप में याद किए जाते रहेंगे। लेकिन उनकी कहानी ओलम्पिक …

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Why IOC is making Olympics a spectacle

देश पर संकट, सैर सपाटे के लिए ओलंपिक कदापि नहीं!

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान हालांकि, भारतीय खेलों के कर्णधार, मानने वाले नहीं है लेकिन कोरोना के चलते भारत ने इतना कुछ खो दिया है कि संभलने में कई साल लग सकते हैं। भले ही सरकार कितने भी दावे करे पर अब तो भारतीय न्याय व्यवस्था के पालनहार भी कह रहे हैं कि देशवासियों के साथ …

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Yogendra Dahiya becomes Vice President and Sports Representative of Asian Sepaktakra

योगेंद्र दहिया बने एशियन सेपकतकरा के उपाध्यक्ष खेल प्रतिनिधि

एशियन सेपकतकरा फ़ेडेरेशन के हाल में हुए आन लाइन चुनाओं में भारतीय सेपकतकरा फ़ेडेरेशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह दहिया को उपाध्यक्ष चुना गया है| उन्हें तीस में से 29 मत मिले| पहले मार्च को हुए चुनाओं में सिंगापुर के अब्दुल हलील अध्यक्ष बनाए गए| दहिया एसे पहले भारतीय हैं जिन्हें एशियाई फ़ेडेरेशन के सर्वोच्च पद …

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Why are players plunging into the mud of politics Yogeshwar Dutt and Vijender Singh

क्यों राजनीति के कीचड़ में उतर रहे हैं खिलाड़ी?

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान पिछले कुछ सालों में भारतीय खिलाड़ियों में राजनीति को लपकने और खेल मैदान छोड़ने के बाद दलगत राजनीति में कूदने की होड़ सी लगी है। हालाँकि कुछ एक खिलाड़ी कामयाब भी रहे हैं पर ज़्यादातर की नाकामी कुछ सवाल भी खड़े करती है। ख़ासकर, किसान आंदोलन के चलते खिलाड़ियों द्वारा अपने …

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Now the heart of Delhi does not beat for hockey

अब हॉकी के लिए नहीं धड़कता दिल्ली का दिल।

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान कुछ साल पहले तक दिल्ली के शिवाजी स्टेडियम में हॉकी के मेले लगते थे। देश के बड़े छोटे खिलाड़ी अपने जौहर दिखाने के लिए जुटते थे । लेकिन अब दिल्ली के शिवाजी और ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम वीरान पड़े हैं। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि भारतीय हॉकी के ठेकेदारों को दिल्ली …

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कोच पर भारी, बड़ी उम्र के खिलाड़ी

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान भारतीय खिलाड़ियों और कोचों को अक्सर यह शिकायत रही है कि देश में अपने कोचों को समुचित सम्मान नहीं दिया जाता। उनके सिर पर विदेशी कोच बैठा दिए जाते हैं, जोकि बेहतर रिज़ल्ट देने में प्रायः नाकाम रहे हैं। यह हाल तब है जबकि सरकार आत्मनिर्भरता और अपनी प्रतिभाओं को अवसर …

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