प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यूपी कैडर के दीपक कुमार मंगलवार को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में हुए चुनाव में राजस्थान के अशोक कुमार व्यास को भारी अंतर से हराया
लंबे समय से विवादों और घोटालों से घिरे एसजीएफआई को अंततः ऐसी टीम मिल गई है, जिसमें कोई बड़ा खिलाड़ी शामिल नहीं है
भारतीय स्कूली खेलों के पिछले तीस सालों पर सरसरी नजर डालें तो ये खेल अनियमितताओं और अव्यवस्था से घिरे रहे हैं
खिलाड़ियों के चयन में धांधली, उम्र की धोखाधड़ी और मेजबान राज्यों द्वारा अधिकाधिक पदक जीतने की महत्वाकांक्षा के चलते नियमों को तोड़ने का खेल खेला जाता रहा है
राजेन्द्र सजवान
प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यूपी कैडर के दीपक कुमार भारतीय स्कूली खेल संघ (एसजीएफआई) के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। मंगलवार को राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में हुए चुनाव में उन्होंने राजस्थान के अशोक कुमार व्यास को भारी अंतर से परास्त किया। लंबे समय से विवादों और घोटालों से घिरे एसजीएफआई को अंततः ऐसी टीम मिल गई है, जिसमें कोई बड़ा खिलाड़ी शामिल नहीं है। अध्यक्ष चुने जाने के बाद दीपक कुमार ने एक साक्षात्कार में उम्मीद जतलाई कि वे फिर से देश के स्कूली खेलों को पटरी पर लाने का काम करेंगे।
भारतीय स्कूली खेलों के पिछले तीस सालों पर सरसरी नजर डालें तो ये खेल अनियमितताओं और अव्यवस्था से घिरे रहे हैं। खिलाड़ियों के चयन में धांधली, उम्र की धोखाधड़ी और मेजबान राज्यों द्वारा अधिकाधिक पदक जीतने की महत्वाकांक्षा के चलते नियमों को तोड़ने का खेल खेला जाता रहा है। चूंकि देश के स्कूली खेल धोखाधड़ी के शिकार रहे इसलिए स्कूलों से निकलने वाली प्रतिभाओं का जैसे लोप हो गया था। अक्षम और अयोग्य लोगों के हाथों खेलों की बागडोर सौंपने का नतीजा यह रहा कि स्कूली खेलों से निकलने वाली प्रतिभाएं विलुप्त हो गई थीं।
दीपक कुमार ने एसजीएफआइ के अध्यक्ष का पदभार संभालने के तुरंत बाद अपने पहले साक्षात्कार में कहा, “आप जो कुछ बता रहे हैं, यह सब मैं भी सुनता रहा हूं और स्कूली खेलों को पूरी तरह भयमुक्त और सुरक्षित बनाना ही मेरा उद्देश्य है।” उन्होंने माना कि देश के स्कूली खिलाड़ियों को पिछले कुछ सालों में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। उन्हें यह भी पता है कि कोरोना काल और गुटबाजी के कारण तीन साल से राष्ट्रीय स्कूली खेल आयोजित नहीं किए जा सके।
अध्यक्ष चुने जाने के चंद मिनट बाद उन्होंने कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर फैसला किया कि साल 2023 के स्कूली खेल हर हाल आयोजित किए जाने चाहिए। उनके इस कदम का चुनी गई टीम ने स्वागत किया और सभी सदस्यों ने माना कि स्कूली खेलों में गड़बड़ के लिए कोई जगह नहीं होगी।
अपनी टीम की प्राथमिकता के बारे में उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन बिंदुओं पर नजर रहेगी जिनके चलते स्कूली खेलों पर उंगलियां उठी हैं। लेकिन अब वे पीछे मुड़ने की बजाय आगे बढ़ने की राह खोजना पसंद करेंगे, क्योंकि स्कूली खेल ही देश का खेल भविष्य तय करते हैं। हमें यहीं से चैम्पियन खिलाड़ी मिलेंगे। उन्होंने माना कि राष्ट्रीय स्कूली टीमों को फिर से अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भेजना लाभकर रहेगा। प्रतिभावान खिलाड़ियों को ऐसे मौके अधिकाधिक देना चाहते हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बहुत से अवांछित खेल स्कूली खेलों में जगह पा गए हैं। उनकी जांच के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा। जरूरी हुआ तो कुछ खेल हटाए भी जा सकते हैं।