तैराकी और जिम्नास्टिक में गहराई तक डूबे हैं!

  • देश के नेता, अभिनेता, अधिकारी, खिलाड़ी और हर वर्ग के मुखिया कह रहे हैं कि इस बार भारत सौ के पार जाएगा
  • तमाम जोड़ घटा के बाद निष्कर्ष यह निकला है कि अधिकाधिक पदक वही देश जीत सकता है जो एथलेटिक, तैराकी और जिम्नास्टिक में पारंगत है
  • हमारे पास तैराकी और जिम्नास्टिक में एक भी नाम ऐसा नहीं जिसे डंके की चोट पर खिताब का दावेदार कहा जा सके
  • हॉकी, क्रिकेट, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, टेनिस, कबड्डी, रोइंग, निशानेबाजी, वुशू, जूडो, वेटलिफ्टिंग, तलवारबाजी, स्क्वाश, गोल्फ, घुड़सवारी आदि खेलों में भारत पदक जीत सकता है
  • भारत महाद्वीप में 18वें नंबर में पर है और यह लगभग तय है कि कोई चमत्कार ही फुटबॉल में पदक दिला सकता है
  • भारतीय दल की रवानगी से पहले कुश्ती में भी खासी धींगा मुश्ती हुई और विश्व चैम्पियनशिप में अपने ज्यादातर पहलवान बुरी तरह पिट कर लौटे हैं, लिहाजा कुश्ती में भी ज्यादा पदक मिलते नजर नहीं आ रहे हैं

राजेंद्र सजवान

एशियाई खेलों का बिगुल बजने से पहले जो भारतीय खेल सबसे ज्यादा चर्चा में थे उनमें फुटबॉल सबसे आगे रहा। इसलिए नहीं क्योंकि भारतीय फुटबॉल कुछ बड़ा करने जा रही है। फुटबॉल की चर्चा का बड़ा कारण यह है कि महाद्वीप में 18वें नंबर की टीम को भाग लेने भेजा गया। फुटबॉल की चर्चा इसलिए भी हुई क्योंकि टीम के गठन में खासी उठापटक हुई। यह भी लगभग तय है कि कोई चमत्कार ही इस खेल में पदक दिला सकता है।

 

  भारतीय दल की रवानगी से पहले कुश्ती में भी खासी धींगा मुश्ती हुई। कुश्ती फेडरेशन अध्यक्ष और नामी पहलवानों के बीच आरोप  प्रत्यारोपों की लंबी श्रृंखला के बाद कुश्ती दल चुना गया जो कि लंबे समय तक दलदल में फंसा रहा। भले ही अंतिम पंघाल ने ओलम्पिक टिकट पाकर भारतीय कुश्ती की लाज बचा ली लेकिन विश्व चैम्पियनशिप में अपने ज्यादातर पहलवान बुरी तरह पिट कर लौटे हैं। फिलहाल कुश्ती में भी ज्यादा पदक मिलते नजर नहीं आ रहे।

मुक्केबाजी में एशियाड और ओलम्पिक में पदक जीतना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। टीम खेलों में हॉकी, क्रिकेट और वॉलीबॉल में कुछ एक पदक जीत सकते हैं। हॉकी में भारत विश्व रैंकिंग में तमाम एशियाई देशों से बहुत आगे है। महिला और  पुरुष क्रिकेट टीमों से भी उम्मीद की जा रही है। लेकिन कोरिया को हराने वाली वॉलीबॉल टीम की असल परीक्षा अभी बाकी है।

   बैडमिंटन, टेबल टेनिस, टेनिस, कबड्डी, रोइंग, निशानेबाजी, वुशू, जूडो, वेटलिफ्टिंग, तलवारबाजी, स्क्वाश, गोल्फ, घुड़सवारी आदि खेलों में भारतीय खिलाड़ी पदक जीत सकते हैं। लेकिन कुछ अन्य खेलों को जोड़ लेने के बाद भी सौ पदकों का आंकड़ा छूना आसान नहीं होगा।

   देश के नेता, अभिनेता, अधिकारी, खिलाड़ी और हर वर्ग के मुखिया कह रहे हैं कि इस बार भारतीय खिलाड़ी पदकों का शतक लगाएंगे। लेकिन तमाम जोड़ घटा के बाद निष्कर्ष यह निकला है कि अधिकाधिक पदक वही देश जीत सकता है जो एथलेटिक,  तैराकी और जिम्नास्टिक में पारंगत है। सच तो यह है कि यही तीन खेल पदक तालिका  का श्रेष्ठता क्रम निर्धारित करते हैं। यह सही है कि हमारे पास नीरज चोपड़ा जैसा चैम्पियन है लेकिन वह एक पदक ही जीत पाएगा। कुछ अन्य एथलीट भी रिले रेस, मध्यम दूरी की दौड़, लंबी ऊंची कूद में पदक जीतने के दावेदार हैं। लेकिन तैराकी और जिम्नास्टिक में एक भी नाम ऐसा नहीं जिसे डंके की चोट पर खिताब का दावेदार कहा जा सके।

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