संतोष ट्रॉफी: मेजबान दिल्ली के लिए करो या मरो का होगा अंतिम ग्रुप मैच

मेजबान टीम शनिवार को डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम में खेले जाने वाले अपने अंतिम ग्रुप-1 मुकाबले में जबर्दस्त फॉर्म में चल रही कर्नाटक का सामना करेगी

फाइनल राउंड में क्वालीफाई करने के लिए दिल्ली को यह मुकाबला जीतना जरूरी है

लेकिन दिल्ली फुटबॉल के कर्णधारों, चयन समिति और कोच महाशय अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को दरकिनार करके सर्वश्रेष्ठ टीम उतारनी होगी

संवाददाता

मेजबान दिल्ली के लिए हीरो संतोष ट्रॉफी 76वीं नेशनल सीनियर मेंस फुटबॉल चैम्पियनशिप में ग्रुप-1 का अंतिम लीग मैच करो या मरो का रहेगा। मेजबान टीम को शनिवार को डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम में जबर्दस्त फॉर्म में चल रही कर्नाटक का सामना करना है और इस मुकाबले में वो जीत हासिल करके ना केवल ग्रुप-1 के शीर्ष पर पहुंच जाएगी, बल्कि फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई भी कर जाएगी। अगर दिल्ली यह मुकाबला जीत लेती है तो वो फाइनल राउंड में बुलंद हौसले के साथ जाएगी। वरना दूसरी स्थिति में दिल्ली की टीम घर वापसी हो जाएगी लेकिन ऐसी भी संभावना है कि फाइनल राउंड की मेजबानी मिलने कि स्थिति में उसे आगे खेलने का अवसर मिला जाएगा। लेकिन अगर-मगर की संभावनाओं के आसरे रहने की बजाय जीत दर्ज करके सीधे क्वालीफाई करने ज्यादा बेहतर विकल्प रहेगा।   

   आगामी मुकाबले के लिए दिल्ली फुटबॉल के कर्णधार, चयन समिति और कोच महाशय अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को दरकिनार कर ऐसे 16 खिलाड़ियों की सेवाएं लेनी होगी, जो सर्वश्रेष्ठ हों, क्योंकि उसके फाइनल राउंड में  पहुंचने का रास्ता इसी मुकाबले से होकर निकलेगा।

  

सालों बाद दिल्ली एक मजबूत टीम बन कर उभरी है। अपने मैदान और अपने दर्शकों के सामने खिलाड़ियों ने जहां एक ओर कमाल का प्रदर्शन किया। वहीं, त्रिपुरा और उत्तराखंड जैसे अपेक्षाकृत कमजोर प्रतिद्वंद्वियों से क्रमश: ड्रा और करीबी जीत जैसे परिणामों से मेजबान टीम प्रबंधन को आलोचना का पात्र भी बनना पड़ा है। नतीजन चयन समिति और कोचों पर गंभीर आरोप लगाए गए। लेकिन यदि कर्नाटक के विरुद्ध दिल्ली अपना श्रेष्ठ देती है और अपना आखिरी मैच जीत लेती है तो तमाम आरोप-प्रत्यारोपों का कोई मायना नहीं रह जाएगा।

   जहां तक कर्नाटक की बात है तो वो जबर्दस्त फॉर्म में है और उसने सभी चार ग्रुप मैच जीत कर 12 अंक बनाए हैं और कुल 21 गोल किए हैं। उसे चैम्पियन के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली ने तीन जीत और एक ड्रा से 10 अंक बनाए हैं और कुल 13 गोल किए हैं। अर्थात सिर्फ जीत ही दिल्ली को ग्रुप चैम्पियन बना सकती है, जिसके लिए यह जरूरी है कि मेजबान अपनी श्रेष्ठ टीम को मैदान में उतारे। कम से कम ऐसे प्रयोग से बचे जैसा उत्तराखंड के विरुद्ध किया गया था। वैसे भी अब प्रयोग का वक्त निकल चुका है। यह न भूलें कि कर्नाटक का पिछला रिकॉर्ड और वर्तमान टीम का प्रदर्शन दिल्ली से कहीं बेहतर रहे हैं।

 

  लेकिन यदि दिल्ली ने श्रेष्ठ को मैदान में उतारा तो कर्नाटक को हराना मुश्किल नहीं होगा। बेशक दिल्ली के पास जयदीप सिंह और महिप अधिकारी के रूप में दो गज़ब के स्ट्राइकर हैं, जो किसी भी कोण से गोल जमाने में सक्षम हैं और एक-एक हैट्रिक सहित चार गोल कर चुके हैं। गौरव चड्ढा और अजय सिंह रावत का अनुभव अग्रिम पंक्ति की ताकत हैं तो कप्तान नीरज भंडारी की अगुआई में रक्षा पंक्ति और गोलकीपर सूरज मलिक कसौटी पर खरे उतरे हैं। कहीं कमी है तो चयन समिति और कोचिंग डिपार्टमेंट में। लेकिन यदि दिल्ली जीत जाती है तो साए पाप धुल सकते हैं।

   यह न भूलें कि मेजबान टीम चयन को लेकर खासे विवाद में रही, जिसकी छाया अब तक मिट नहीं पाई है। लेकिन एक जीत सब कुछ भुला सकती है। देखना यह होगा कि आलोचना में घिरी चयन समिति और कोच कर्नाटक के विरुद्ध कैसी रणनीति अपनाते हैं।

   उधर, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में दिन के पहले मैच में ग्रुप-1 की दो फिसड्डी टीमों लद्दाख और त्रिपुरा के बीच मुकाबला होगा। एक अन्य मैच में गुजरात और उतराखंड आपस में भिड़ेंगे।

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