सत्ता समर्थित ट्रोल आर्मी को विनेश की गोल्डन पटखनी

  • विनेश ने राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप का स्वर्ण पदक जीतकर सत्ता समर्थित ट्रोल आर्मी के मुंह पर करारा तमाचा मारा है
  • वह देश के अन्य दिग्गज पहलवानों के साथ यौन शोषण की शिकार अपनी जूनियर महिला खिलाड़ियों के हक के लिए भारतीय कुश्ती फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थीं
  • वह 16 महीनों बाद रेस्लिंग मैट पर उतरी थीं, क्योंकि उन्हें पिछले एशियाड में घुटने की चोट और आंदोलन के कारण सक्रिय कुश्ती से दूर थीं
  • उनकी पेरिस ओलम्पिक गेम्स की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि 55 किलो वर्ग गैर ओलम्पिक स्पर्धा है इसलिए पेरिस का टिकट पाने के लिए उन्हें अपनी वेट कैटेगरी बदलनी होगी
  • उन्हें 53 किलो वर्ग में वापस जाना पड़ सकता है, जहां ओलम्पिक क्वालीफाइंग का दावेदार बनने के लिए उन्हें ट्रायल से गुजरना होगा और मुश्किल प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना होगा

अजय नैथानी

अब उसमें दम नहीं रहा.., उसका पीक टाइम जा चुका है.., अब उसे कुश्ती छोड़कर राजनीति करनी चाहिए.., वो युवा खिलाड़ियों का रास्ता रोक रही है…, न जाने क्या-क्या कहा गया विनेश फोगाट के बारे में, जब वह देश के अन्य दिग्गज पहलवानों के साथ यौन शोषण की शिकार अपनी जूनियर महिला खिलाड़ियों के हक के लिए भारतीय कुश्ती फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थीं। लेकिन विनेश ने राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप का स्वर्ण पदक जीतकर न केवल सत्ता समर्थित ट्रोल आर्मी के मुंह पर करारा तमाचा मारा है बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि उनके अंदर अभी बहुत दमखम है और वह भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक दिलाने का दमखम रखती हैं।

   विनेश फोगाट ने रविवार को सीनियर नेशनल रेसलिंग चैम्पियनशिप में महिलाओं के 55 किलोग्राम भार वर्ग का स्वर्ण पदक जीतकर दिखा दिया है कि वह अभी चूकी नहीं हैं। आईओए द्वारा गठित एड-होक कमेटी द्वारा जयपुर में आयोजित सीनियर नेशनल रेसलिंग चैम्पियनशिप में विनेश अपने भारवर्ग से ऊपर की कैटेगरी में उतरी थीं। इसके बावजूद 29वर्षीया इस पहलवान ने रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड (आरएसपीबी) का प्रतिनिधित्व करते हुए महिला 55 किग्रा भार वर्ग के फाइनल में मध्य प्रदेश की ज्योति को केवल दो मिनट में 4-0 से हराकर खिताबी जीत का जश्न मनाया। ज्ञात हो कि विनेश ने 2018 के जकार्ता एशियन गेम्स में 50 किलोग्राम भार वर्ग का गोल्ड जीता था जबकि 2022 के बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में उनकी स्वर्णिम सफलता 53 किग्रा कैटेगरी में आई थी।    

 

   जैसा कि आप जानते है कि दो बार की वर्ल्ड चैम्पियनशिप मेडलिस्ट विनेश फोगाट ने दो ओलम्पिक पदक विजेताओं बजरंग पूनिया व साक्षी मलिक तथा अन्य पहलवानों के साथ मिलकर उन युवा पहलवान लड़कियों को न्याय दिलाने की सड़क से लेकर अदालत तक लम्बी लड़ाई लड़ी, जिनके कथित यौन शोषण के कथित आरोप पूर्व फेडरेशन अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह पर लगाए गए। इन आंदोलनकारी पहलवानों ने अपना करियर दांव में लगाते हुए सत्ता समर्थित भाजपा के बेहद ताकतवर सांसद की गिरफ्तारी मांग की थी, जो कि आज तक पूरी नहीं हो सकी। लेकिन भारत सरकार ने जरूर कुश्ती फेडरेशन को दोबारा भंग किया, जब ब्रजभूषण समर्थित धड़े ने कुश्ती फेडरेशन का चुनाव जीत लिया और उनका खास संजय सिंह को अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद ही खेल मंत्रालय को फिर से हस्तक्षेप करना पड़ा और आईओए को कुश्ती का कामकाज चलाने के लिए दूसरी बार एड-होक कमेटी बनानी पड़ी। 

   अब जब विनेश ने राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जीत ली है, तो उनकी निगाहें पेरिस ओलम्पिक गेम्स पर लगी होंगी। लेकिन उनकी आगे राह आसान नहीं होगी, क्योंकि उन्होंने 55 किलो वर्ग का गोल्ड जीता जो कि ओलम्पिक में शामिल नहीं है। लिहाजा, पेरिस का टिकट पाने के लिए उन्हें अपनी वेट कैटेगरी बदलनी होगी और उन्हें 53 किलो वर्ग में वापस जाना पड़ सकता है, जहां ओलम्पिक क्वालीफाइंग का दावेदार बनने के लिए उन्हें ट्रायल से गुजरना होगा और मुश्किल प्रतिद्वंद्वियों का सामना करना होगा।     

  उनकी हालिया कामयाबी इसलिए भी उल्लेखनीय है कि वह 16 महीनों बाद रेस्लिंग मैट पर उतरी थीं, क्योंकि उन्हें पिछले एशियाड में घुटने की चोट और आंदोलन के कारण सक्रिय कुश्ती से दूर थीं। अगस्त 2023 में घुटने की सर्जरी के बाद उन्होंने दिसम्बर से ट्रेनिंग शुरू की थी।

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