Baby Ram is no more, but his childishness and vivacity will always be remembered

बच्ची राम नहीं रहे लेकिन उनका बचपना और जिंदादिली हमेशा याद रहेंगे!

राजेंद्र सजवान/क्लीन बोल्ड

दिल्ली और देश की फुटबाल एवं हॉकी ने अपना एक बहुचर्चित फुटबाल खिलाडी , कोच, रेफरी और अंपायर खो दिया है। पांच फुटे इस खिलाडी का नाम था बच्ची राम, जिसने 87 साल की उम्र में शिलांग, मेघालय में अंतिम सांस ली। जैसे ही उनके देहत्याग की खबर देश की राजधानी पहुंची, उनके सैकड़ों हजारों चाहने वालों के सामने पिछले पांच छह दशकों की यादें ताज़ा हो गईं। सोशल मीडिया पर बच्ची के साथ बिताए दिनों की यादें शेयर करने वाले जैसे टूट कर पड़े और अपने अपने अंदाज में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

दिल्ली की फुटबाल और हॉकी को देखने समझने वाले, खेलने वाले और खिलाने वाले कोच और रेफरी अम्पायर बच्ची राम को जरूर जानते होंगे। छोटे कद का यह बड़ा इंसान इसलिए जाना पहचाना गया क्योंकि उसका चरित्र और शख्सियत कुछ हट कर रहे।

Baby Ram is no more, but his childishness and vivacity will always be remembered

कद भले ही छोटा था लेकिन अम्बेडकर और शिवाजी स्टेडियम पर खेले जाने वाले फुटबाल और हॉकी मैचों में बड़े से बड़े खिलाडी और खेल प्रेमी उन्हें बहुत करीब से जानते पहचानते थे। कारण, उनका व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा था, जो एकबार मिला सदा के लिए उनका कायल हो जाता था।

बच्ची राम की असल पहचान उनका फुटबाल क्लब “बुद्धिस्ट ब्लू स्टार” था, जिसे सजाने संवारने में उन्होंने अपना पूरा जीवन खपा दिया। भले ही राजधानी का यह फुटबाल क्लब अब पहचान खो रहा है लेकिन लगभग तीस चालीस साल तक बीबी स्टार्स उनकी बड़ी धरोहर रहा, जिसमें दिल्ली और देश के सैकड़ों नामी फुटबाल खिलाडियों ने सेवाएं दीं।

संयोग से कालेज के दिनों में मुझे भी उनके क्लब से खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। लेकिन उनको करीब से देखने परखने का सुअवसर खेल पत्रकारिता को अपनाने के बाद मिला। वह कई साल तक देवरानी फुटबाल टूर्नामेंट और उत्तरांचल कप में आयोजन समिति के प्रमुख रहे।

बच्ची सर फुटबाल और हॉकी के शानदार खिलाडी थे और खेल कौशल के दम पर ही उन्हें दिल्ली ऑडिट में नौकरी मिली, जहाँ नामवर खिलाडियों की भरमार थी। मुंह फट, मज़ाकिया और दिल्ली फुटबाल के वरिष्ठ अधिकारीयों को खरी खोटी सुनाने वाले बच्ची राम ने एक रेफरी के रूप में भी खूब नाम कमाया।

कद इतना छोटा था कि खिलाडियों के बीच कहीं नज़र नहीं आते थे लेकिन लाल पीले कार्ड दिखाने में जरा भी गुरेज नहीं किया। उस समय जबकि भारतीय क्लब फुटबाल में ईस्ट बंगाल के नाइजीरियाई खिलाडी चीमा ओकेरी कि तूती बोलती थी और रेफरी उसे कार्ड दिखाने से डरते थे बच्ची राम ने चीमा को पीला और फिर लाल कार्ड दिखाकर खूब वाह वाह लूटी।

निर्भीक और निष्पक्ष चरित्र के बच्ची राम का पारिवारिक जीवन मुश्किल भरा रहा लेकिन भारतीय फुटबाल और हॉकी मैदानों पर उनके चर्चे खूब हुए और मरणोपरांत भी उनके संगी साथी यादगार पलों के साथ उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं।

देश के जाने माने खिलाडी और रेफरी समाज के सदस्यों रिजवान, विक्रमजीत, जय किशोर, घोष, लियाकत अली, सुनील दत्त, दिल्ली साकर एसोसिएशन के सदस्यों, शंकर लाल, खुरम, राजेश सिंह, राम सिंह, जसपाल सिंह, नागेंद्र सिंह, राकेश जोशी, भूपेंद्र अधिकारी, आनंद डबास, संजय, भोलानाथ, बंकिम, नईम आदि ने दिवंगत आत्मा को याद किया और कहा कि उनके योगदान को केअभी भुलाया नहीं जा सकता।

रीचार्जड वेटरन्स हेम चंद, मेराजुद्दीन, सुशांत रॉय, नसीम ज़फर, कामिल, रमेश, अथर अंसारी, निसार, जूलियस, गुलज़ार, आर एस मान, सुखपाल बिष्ट, प्रदीप गांगुली, मकबूल, अतिशील, राधे कृष्ण , अंजन रॉय, सैयद शकील, फरहत, अब्दुल बासित, अली आबिद, दीपक नाथ, हेनरी विजय और अन्य ने बच्ची राम को याद किया और कहा कि उनके जैसा चरित्र शायद ही फिर कभी देखने को मिले।

2 thoughts on “बच्ची राम नहीं रहे लेकिन उनका बचपना और जिंदादिली हमेशा याद रहेंगे!”

  1. Bikramjit Purkayastha

    My gratitude to Bacchi Ram Sir. I will never forget the day I met him for the first time. He saw me playing in Lodhi Colony ground along with my friends. He just watched us from far and then came to me and said will u play for my Club. U will have to come for regular practice then only u will be able to play. Then it’s a history, we brought many laurels for B B Star. Bacchi Ram Sir had dedicated his entire life for sports only, so does Madam and his family. Nostalgic moments. We will miss him.,

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