भीख में सम्मान बिल्कुल नहीं:–अशोक ध्यानचंद
क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान पिछले कुछ सालों में जहां एक ओर भारतीय हॉकी का पतन हुआ है तो दूसरी तरफ कुछ खेलों में जीते ओलंपिक पदकों ने खिलाड़ियों के वारे न्यारे कर दिए। एक पदक ने उन्हें करोड़ों का मालिक बना दिया। कुछ खिलाड़ी तो ओलंपिक में चौथा स्थान पाने पर ही करोड़ों के हकदार …