India could not repeat Sydney and Brisbane in Chennai

चेन्नई में सिडनी और ब्रिस्बेन को नहीं दोहरा सका भारत

चेन्नई। लक्ष्य बहुत बड़ा था, पिच टूट रही थी और जेम्स एंडरसन सरीखे तेज गेंदबाज की रिवर्स स्विंग में महारत सबको पता थी, इसके बावजूद भारतीय टीम से पिछले महीने सिडनी और फिर ब्रिस्बेन में किये गये कारनामे की पुनरावृत्ति की उम्मीद थी। ऐसा नहीं हो पाया।

इंग्लैंड ने चेपक के एम ए चिदंबरम स्टेडियम में खेला गया पहला टेस्ट मैच 227 रन से जीतकर चार मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली। यह सीरीज विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इस हार से भारत की जून में न्यूजीलैंड के खिलाफ लार्ड्स में उतरने की संभावनाओं को गहरा आघात लगा है।

आस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में भारत के सामने 407 रन का लक्ष्य था। भारत ने पांचवें दिन बल्लेबाजी करके मैच ड्रा कराया। ब्रिस्बेन में भारतीय टीम ने पांचवें दिन 328 रन का लक्ष्य हासिल करके जीत दर्ज की। इन दोनों मैचों में चेतेश्वर पुजारा ने लंबे समय तक एक छोर संभाले रखा था जिससे बाकी बल्लेबाजों को खुलकर खेलने की छूट मिली थी।

चेन्नई में आज पुजारा शुरू में ही आउट हो गये। उन्होंने केवल 15 रन बनाये। इससे मध्यक्रम लड़खड़ा गया। एंडरसन ने रिवर्स स्विंग का कमाल दिखाया। उन्होंने शुभमन गिल (50) और अंजिक्य रहाणे (शून्य) को जिस तरह से बोल्ड किया उससे पता चलता है कि यह 38 वर्षीय गेंदबाज अभी थोड़ा भी चुका नहीं है।

कप्तान विराट कोहली ने एक छोर संभाले रखा था लेकिन दूसरे छोर पर ऋषभ पंत (11), वाशिंगटन सुंदर (शून्य) और रविचंद्रन अश्विन (नौ) नहीं चल पाये। कोहली भी आखिर में 72 रन बनाकर बेन स्टोक्स की गेंद पर बोल्ड हो गये।

इसके बाद तो इंग्लैंड की जीत महज औपचारिकता रह गयी थी। भारतीय टीम दूसरी पारी में 192 रन ही बना पायी। बायें हाथ के स्पिनर जैक लीच ने चार और एंडरसन ने तीन विकेट लिये।

यह पिछले दस वर्षों में भारत की अपनी सरजमीं पर टेस्ट मैचों में केवल चौथी हार है और इसमें तीन मैच उसने इंग्लैंड से गंवाये हैं। जाहिर है जो रूट की अगुवाई वाली टीम फिर बड़े इरादों के साथ भारत आयी है।

रूट की कप्तानी में इंग्लैंड ने पिछले 11 टेस्ट मैच जीते हैं। एशिया में उनके कप्तान रहते हुए इंग्लैंड ने जो छह टेस्ट मैच खेले हैं उन सभी में उसे जीत मिली है। विराट कोहली की अगुवाई में भारत ने लगातार चौथा टेस्ट मैच गंवाया है।

रूट ने मैच में फिर से आगे बढ़कर नेतृत्व किया। उनकी 218 रन की पारी की मदद से इंग्लैंड ने पहली पारी में 578 रन बनाये। इसके जवाब में भारतीय टीम 337 रन ही बना पायी। इंग्लैंड ने दूसरी पारी में 178 रन बनाये थे।

इस जीत से इंग्लैंड आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप की तालिका में 70.2 पीसीटी अंकों के साथ शीर्ष पर पहुंच गया है जबकि भारत चौथे स्थान पर खिसक गया है। भारत के 68.3 अंक रह गये हैं।

भारत को फाइनल में पहुंचने के लिये इस सीरीज को कम से कम 2-1 से जीतना होगा। मतलब उसे बाकी बचे तीन मैचों में से कम से कम दो में जीत और एक में ड्रा चाहिए।

भारतीय टीम प्रबंधन और भारतीय क्रिकेट बोर्ड दोनों को इस हार के बाद अपनी नीतियों पर मंथन करना चाहिए। आस्ट्रेलिया के लंबे दौरे, पृथकवास और खिलाड़ियों के चोटिल होने की समस्या के बावजूद भारतीय टीम को लगातार दूसरीसीरीज खेलनी पड़ी।

ऐसे में खिलाड़ियों पर शारीरिक ही नहीं मानसिक थकान भी हावी रहती है। टीम प्रबंधन को पिच तैयार करने की अपनी नीति पर भी विचार करना होगा।

भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ 2012 में भी इसी तरह की पिचें तैयार की थी लेकिन तब भी उसे हार का सामना करना पड़ा था। लगता है कि भारतीय टीम प्रबंधन ने उससे सबक नहीं लिया।

दूसरा टेस्ट मैच भी चेन्नई में ही होगा जबकि आखिरी दो मैच अहमदाबाद के सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम में खेले जाएंगे।

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