भयावह होती खेल की राजनीति
राजेंद्र सजवान बात अप्रैल 1997 की है। जयपुर में भारतीय कुश्ती फेडरेशन के चुनाव थे। अध्यक्ष पद के लिए जीएस मंडेर के सामने भारतीय कुश्ती के युग पुरुष पद्म श्री द्रोणाचार्य गुरु हनुमान खड़े थे, जिनके कई शिष्य विभिन्न प्रदेशों से वोट पाने और वोट देने के लिए पहुंचे थे। गुरु हनुमान अपनी जीत पक्की …