कौन है जो….दिल्ली की फुटबॉल को बदनाम और बर्बाद करना चाहता है?

  • दिल्ली प्रीमियर लीग में भाग लेने वाले प्रमुख क्लब दिल्ली एफसी ने एक ऐसा अनचाहा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है, जिसका उल्लेख शायद ही किसी फुटबॉल आयोजन में देखने को मिले
  • दिल्ली एफसी द्वारा चार मैचों में सात-सात खिलाड़ियों की अधूरी टीम मैदान में उतरने और फिर नाटकीय अंदाज में एक खिलाड़ी को चोटिल दिखाकर कुछ ही मिनटों में मैच छोड़ने का घटनाक्रम बदस्तूर जारी है
  • दिल्ली एफसी ने क्रमश: गढ़वाल हीरोज, रॉयल रेंजर्स, तरुण संघा और आज अहबाब एफसी के खिलाफ अधूरी टीम उतारी और क्रमश: सात, सात, तीन व 11 मिनट तक प्रतिद्वंदियों का सामना किया
  • डीएसए और उसकी लीग आयोजन समिति अभी भी चुप्पी साधे हुए हैं, क्योंकि उन्हें या तो नियमों की जानकारी नहीं है या फिर जानबूझकर अनजान बनकर फुटबॉल लीग को मजाक बनाया जा रहा है

राजेंद्र सजवान

दिल्ली प्रीमियर लीग आजकल भारतीय फुटबॉल जगत में चर्चा का विषय जरूर बनी हुई है, लेकिन यह चर्चा अच्छे कारणों से नहीं है। इसलिए चूंकि दिल्ली की प्रमुख फुटबॉल लीग में भाग लेने वाली दिल्ली एफसी ने एक ऐसा अनचाहा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है, जिसका उल्लेख शायद ही किसी फुटबॉल आयोजन में देखने को मिल जाए। फुटबॉल हलकों में जहां एक ओर देश की राजधानी की फुटबॉल का संचालन करने वाली डीएसए के फुटबॉल सुधार कार्यक्रमों को सराहा जा रहा है, तो दूसरी ओर दिल्ली एफसी द्वारा चार मैचों में सात-सात खिलाड़ियों की अधूरी टीम मैदान में उतरने और फिर नाटकीय अंदाज में एक खिलाड़ी को चोटिल दिखाकर कुछ ही मिनटों में मैच छोड़ने का घटनाक्रम बदस्तूर जारी है।

   जैसा कि फुटबॉल जानकारों को पता है कि साथ खिलाड़ियों के मैदान में रहते ही कोई टीम खेलने के लिए अन्य होती है। दिल्ली एफसी द्वारा इस नियम का डीएसए दिल्ली प्रीमियर लीग में जमकर मखौल उड़ाया जा रहा है। दिल्ली एफसी ने क्रमश: गढ़वाल हीरोज, रॉयल रेंजर्स, तरुण संघा और अब अहबाब एफसी के खिलाफ सात खिलाड़ियों के साथ मैदान में प्रवेश किया और क्रमश: सात, सात, तीन और 11 मिनट तक प्रतिद्वंदियों का सामना किया। फिर अचानक एक खिलाड़ी चोट खाता है और मैच समाप्त घोषित कर दिया जाता है।

   दिल्ली की फुटबॉल के साथ हो रहा यह भद्दा मजाक डॉ. अंबेडकर स्टेडियम में मौजूद मुट्ठी भर फुटबॉल प्रेमी, डीएसए के सदस्य और आयोजन समिति चुपचाप देखती रह गई। हर मैच के आयोजन पर हजारों रुपये का खर्च हो रहा है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। शायद ही पहले कभी किसी आयोजन में इस प्रकार की तमाशेबाजी देखने को मिली हो। इसमें कोई दो राय नहीं है कि दिल्ली एफसी राष्ट्रीय फुटबॉल में उभरता नाम है। क्लब अधिकारियों के अनुसार, उनके पास रजिस्टर्ड खिलाड़ियों की कमी है। डीएसए और उसकी लीग आयोजन समिति भी चुप्पी साधे हुए हैं। उन्हें या तो नियमों की जानकारी नहीं है या फिर जानबूझकर अनजान बनकर फुटबॉल लीग को मजाक बनाया जा रहा है। संभवतया, यह सब किसी साजिश के तहत हो रहा है। कोई तो है, जो दिल्ली की फुटबॉल को बदनाम और बर्बाद करने की मंश रखता है।

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