फुटबॉल की बेहतरी के लिए होली और ईद मिलन जैसे आयोजन जरूरी

  • डीएसए अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने दिल्ली के खिलाड़ियों, क्लब अधिकारियों, रेफरियों और अन्य को ईद मिलन समारोह की हार्दिक बधाई दी
  • उन्होंने अपने संबोधन में राजधानी के क्लबों और खिलाड़ियों से आग्रह किया कि सभी त्योहार मिलजुल कर मनाए जाएं और ऐसे आयोजनों से सिर्फ भाईचारा ही नहीं बढ़ता,  बल्कि फुटबॉल के लिए बेहतर माहौल भी बनता है
  • गुरुवार शाम को राजधानी दिल्ली स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्टेडियम में आयोजित इस समारोह में पूर्व अधिकारियों और डीएसए के पूर्व प्रशासकों एनके भाटिया, मगन सिंह पटवाल और हेमचंद की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही
  • इस बारे में पूछने पर पता चला कि डीएसए में फिर से गुटबाजी पैर पसार रही है, जो कि अशुभ लक्षण है और यदि सचमुच ऐसा है तो दुर्भाग्यपूर्ण कहा जाएगा, क्योंकि दिल्ली और देश की फुटबॉल अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रही है

राजेंद्र सजवान

दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) के अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने दिल्ली के खिलाड़ियों, क्लब अधिकारियों, रेफरियों और अन्य को ईद मिलन समारोह की हार्दिक बधाई दी। गुरुवार शाम को राजधानी दिल्ली स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्टेडियम में आयोजित इस समारोह के दौरान डीएसए अध्यक्ष ने अपने संबोधन में राजधानी के क्लबों और खिलाड़ियों से आग्रह किया कि सभी त्योहार मिलजुल कर मनाए जाएं। ऐसे आयोजनों से सिर्फ भाईचारा ही नहीं बढ़ता,  फुटबॉल के लिए बेहतर माहौल भी बनता है।

   कुछ दिन पहले डीएसए ने यहीं पर होली मिलन का आयोजन किया था, जिसमें डीएसए पदाधिकारियों और क्लब अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर एक दोस्ताना मैच का भी आयोजन किया गया था। गुरुवार को ईद मिलन समारोह में अध्यक्ष अनुज गुप्ता के अलावा, कोषाध्यक्ष लियाकत अली, उपाध्यक्ष शराफत उल्लाह, जगदीश मल्होत्रा, रिजवान-उल-हक, समेत पचास से अधिक क्लब अधिकारी और दर्जन भर खेल पत्रकार शामिल हुए। बस कमी खली तो पूर्व अधिकारियों और डीएसए के पूर्व प्रशासकों एनके भाटिया, मगन सिंह पटवाल और हेमचंद की।

   इस आयोजन में कई प्रमुख क्लब अधिकारी अनुपस्थित पाए गए। इस बारे में पूछने पर पता चला कि डीएसए में फिर से गुटबाजी पैर पसार रही है, जो कि अशुभ लक्षण है। यदि सचमुच ऐसा है तो दुर्भाग्यपूर्ण कहा जाएगा। यह ना भूलें कि दिल्ली और देश की फुटबॉल अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रही है। काफी कुछ गलत हो रहा है। ऐसे में हिंदू-मुस्लिम सद्भावना और सभी धर्मों से भाईचारा ही फुटबॉल को बचा सकता है। यह बात डीएसए के साथ-साथ एआईएफएफ को भी समझ लेनी चाहिए।

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