भारत की बर्बाद फुटबॉल को अब मेस्सी का सहारा
- मेस्सी विश्व फुटबॉल के महानतम खिलाड़ियों में शुमार हैं लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि उनके आने से केरल और भारतीय फुटबॉल को क्या भला होगा?
- यह न भूलें कि पेले और माराडोना जैसे चैम्पियन भी भारत आए थे और भारतीय फुटबॉल प्रेमियों ने उनका जोरदार स्वागत किया था
- केरल ने भारतीय फुटबॉल को कई चैम्पियन फुटबॉलर दिए, जिन्होंने राज्य और राष्ट्रीय टीम को सेवाएं दीं और खूब नाम कमाया लेकिन आज केरल भी स्तरीय खिलाड़ी पैदा नहीं कर पा रहा है
- भारत में फुटबॉल प्रेमियों की कमी नहीं है लेकिन क्रिकेट के बाद फुटबॉल सबसे लोकप्रिय खेल है, जो कि पिछले पांच दशकों से हर मोर्चे पर फेल हो रहा है
राजेंद्र सजवान
केरल के खेल मंत्री अब्दुलरहीमान ने राज्य के फुटबॉल प्रेमियों को ढांढस बंधाया है कि अर्जेंटीना के महान फुटबॉलर लियोनेल मेस्सी की अगुआई वाली अर्जेंटीना टीम राज्य का दौरा करेगी और कुछ एक मैत्री मैचों में भाग लेगी। हालांकि स्पॉन्सरों और आयोजकों के बीच मैच फीस को लेकर विवाद की खबर उड़ी थी लेकिन खेल मंत्री कह रहे हैं कि मामला सुलट गया है और मेस्सी की टीम के आने की तमाम बाधाएं दूर हो गई हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि मेस्सी विश्व फुटबॉल के महानतम खिलाड़ियों में शुमार हैं और पिछले दो दशकों से लगातार चर्चा में हैं लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि उनके आने से केरल और भारतीय फुटबॉल को क्या भला होगा? यह न भूलें कि पेले और माराडोना जैसे चैम्पियन भी भारत आए थे और भारतीय फुटबॉल प्रेमियों ने उनका जोरदार स्वागत किया था। यह सही है कि केरल ने भारतीय फुटबॉल को कई चैम्पियन फुटबॉलर दिए, जिनमें मैथ्यू वर्गीस, अब्दुल रहमान सालेह, सुब्रमण्यम, जेवियर पायस, प्रदीप पप्पाचेन सत्येन, जो पॉल अंचेरी, आईएम विजयन आदि ने केरल और राष्ट्रीय टीम को सेवाएं दीं और खूब नाम कमाया। कुछ खिलाड़ी ओलम्पिक में भी खेले। लेकिन आज केरल भी स्तरीय खिलाड़ी पैदा नहीं कर पा रहा है और भारतीय फुटबॉल की हालत तो किसी से छिपी नहीं है।
भारत में फुटबॉल प्रेमियों की कमी नहीं है। संभवतया क्रिकेट के बाद फुटबॉल सबसे लोकप्रिय खेल है, जो कि पिछले पांच दशकों से हर मोर्चे पर फेल हो रहा है। जो देश नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान आदि फिसड्डियों के सामने असहाय है और एक-एक गोल और जीत के लिए तरस-तड़प रहा है, उसकी धरती पर मेस्सी के कदम पड़ना सचमुच ऐतिहासिक घटना कही जा सकती है। हो सकता है कि भारतीय फुटबॉल सही दिशा की ओर चल निकले।