tokyo olympics India's preparation in very bad condition

दलदल में भारतीय दल: कभी खाली हाथ, कभी अपमान के साथ तो कभी एक दो पदक की बात!

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान

टोक्यो ओलम्पिक खेल आयोजन समिति और जापान की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति और उसकी तमाम सदस्य इकाइयों को स्पष्ट कर दिया है कि सभी भाग लेने वाले देश अपने अपने दल का आकार छोटा रखें और कोविद 19 के चलते तमाम सुरक्षा इंतज़ामों के अनुरूप खेलों में भाग लें। इसी प्रकार के निर्देश अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति को भी जारी किए गए हैं। चूँकि बीमारी अभी भी नियंत्रण में नहीं है इसलिए आईओसी के सदस्य देशों की सरकारों को दो टूक कह दिया गया है कि सभी देश, उनके खिलाड़ी और अधिकारी नियामों का सख्ती से पालन करें।

इधर भारत में भी सभी खेल संघों, कोचों, खिलाड़ियों, खेल अधिकारियों, सपोर्ट स्टाफ और अन्य को भी आयोजकों के संदेश से अवगत करा दिया गया है। नतीज़न बहुत से खेल संघों और उनके अधिकारियों के बीच तनातनी चल रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत से अवसरवादियों को आघात पहुँचा है। रियो ओलम्पिक के बाद कई एक ने टोक्यो जाने का सपना संजोया था जोकि महामारी के कारण पूरा होता नज़र नहीं आ रहा।

ओलम्पिक खेलों में भारत का प्रदर्शन भले ही शर्मनाक रहा हो लेकिन शुरुआत से ही हमने अधिकाधिक भागीदारी की परंपरा को निभाया है, जिसे हमारे खेल आका खेल भावना का नाम देते आए हैं। उस समय जबकि क्वालीफाइंग मुक़ाबले आयोजित नहीं किए जाते थे, तब से हमारे खेल आका खेलों के लिए बड़े बड़े दल भेजते आ रहे हैं। इन दलों में खेल मंत्रालय, कई अन्य मंत्रालयों, भारतीय खेल प्राधिकरण, भारतीय ओलम्पिक संघ, खेल संघ और अन्य विदेश दौरे करते आ रहे हैं। जब से ओलम्पिक टिकट पाने का चलन शुरू हुआ है मौकापरस्तों ने अन्य रास्ते खोज लिए हैं।

एक सर्वे से पता चला है कि एशियाई खेलों, कामनवेल्थ खेलों और ओलम्पिक खेलों में भले ही हमारे खिलाड़ी कसौटी पर खरे नहीं उतरते परंतु भारतीय दल का आकार देश की जनसंख्या के हिसाब से ही अपनी उपस्थिति दर्ज़ करता आया है। रियो ओलम्पिक में भारत ने 15 खेलों में भाग लिया| कुल खिलाड़ी 171 थे और खोजी पत्रकारों और एजेंसियों की माने तो एक हज़ार से भी अधिक भारतीय खेलों की आड़ में सैर सपाटे और मौज मस्ती के लिए गए थे और पदक मिले सिर्फ़ दो।

आयोजकों और ओलंपिक समिति ने साफ कह दिया है कि विदेशी खेल प्रेमी पूरी तरह प्रतिबंधित हैं और मेजबान देश के दर्शक भी बहुर कम मात्रा में प्रवेश पा सकते हैं। जिन खेल प्रेमियों ने महीनों पहले होटल और टिकट बुक करा लिए थे उनका पैसा वापस किया जा रहा है। लेकिन इधर भारत ,में अब भी तिकड़मबाजी का खेल चल रहा है। खिलाड़ियों के माता पिता, यार दोस्त, आईओए, खेल संघों, खेल मंत्रालय और साई के अधिकारी, जुगाडू मीडिया और अन्य लोग जैसे तैसे टोक्यो जाने के लिए प्रयत्नशील हैं।

चूँकि टोक्यो खेलों के टिकट और प्रवेश आसान नहीं है इसलिए बिन बुलाए मेहमान छटपटा रहे हैं। काम बने या ना बने लेकिन वे कोर कसर नहीं छोड़ने वाले।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *