Prithvi Shekhar-World def champion, who wants to win a gold medal in next deflampix in Brazil, said on SportsTiger's show building bridge

ब्राज़ील में अगले डेफलंपिक्स में स्वर्ण पदक जीतना चाहते हैं पृथ्वी शेखर-वर्ल्ड डेफ चैंपियन ने स्पोर्ट्सटाइगर के शो बिल्डिंग ब्रिज पर कहा

इंडियन टेनिस स्टार पृथ्वी शेखर, जिन्होंने 2013 और 2017 के डेफलंपिक्स में भारत का
प्रतिनिधित्व किया था, ने हाल ही में अपने करियर की यात्रा के साथ ही भारत में एक डेफ (बधिर) एथलीट के रूप में उनके संघर्ष और उनकी आगे की योजनाओं के बारे में बात की। उन्होंने 2019 में तुर्की के अंताल्या में वर्ल्ड डेफ टेनिस चैंपियनशिप में पुरुषों के एकल चैंपियन बनने की अपनी महान उपलब्धि पर भी प्रकाश डाला।

27 साल के पृथ्वी का जन्म चेन्नई में हुआ था, वे 2013 और 2017 में दो डेफलंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उन्होंने 2017 समर डेफलंपिक्स में जाफरीन शेख के साथ मिलकर मिश्रित युगल में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा और भारत के लिए टेनिस में पहला डेफलंपिक्स पदक जीता। स्पोर्ट्स टाइगर के शो ‘बिल्डिंग ब्रिज‘ पर हाल ही में हुई बातचीत में, पृथ्वी ने 2013 में अपने पहले डेफलंपिक्स के बारे में बात की और बताया कि कैसे उनकी माँ को 2013 में डेफलंपिक्स के बारे में पता चला और उनकी मां ने उन्हें औरंगाबाद में नेशनल्स में भेजा, जहाँ उन्होंने सिंगल के साथ-साथ डबल्स में भी में स्वर्ण पदक जीता और देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए भी चुने गए।

पृथ्वी ने कहा, ‘जब मैं वहां गया था, तो मैं सिंगल्स और डबल्स में गोल्ड जीतकर बहुत खुश था। मुझे इस बात पर गर्व था कि डेफलंपिक्स में खेलने के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए मुझे चुना गया।‘ टेनिस के उत्थान में सरकार की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने सरकार की ओर से उचित प्रोत्साहन नहीं मिलने पर दुख व्यक्त किया और कहा, ‘जब मैंने 2017 में डेफलंपिक्स में पहला पदक जीता, तो किसी ने मुझे बधाई नहीं दी।

केवल ओलंपिक और पैरालिम्पिक्स में ही खिलाड़ियों को समर्थन मिलता है।’ उन्होंने यह भी बताया था कि उन्होंने अर्जुन पुरस्कार के लिए भी आवेदन किया था, लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। उस वर्ष एक भी बधिर एथलीट को पुरस्कार नहीं मिला। ऐसा उनके साथ 2017 में डेफलंपिक्स में पदक जीतने के बाद और 2019 में विश्व बधिर टेनिस चैम्पियनशिप में पुरुष एकल चैंपियन बनने के बाद हुआ।

पिछले साल उनके करियर में एक और मील का पत्थर तब जुड़ गया जब वरीयता सूची से बाहर पृथ्वी ने सेमीफाइनल में हंगरी के शीर्ष वरीयता प्राप्त गेबोर माथे सहित चार वरीयता प्राप्त खिलाड़ियों को हराकर तुर्की के अंताल्या में वर्ल्ड डेफ टेनिस चैंपियनशिप में पुरुष एकल चैंपियन बन गए। उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में अपनी जीत के बारे में बात की उन्होंने कहा, ‘मुझे इस बात से बहुत खुशी और गर्व हुआ कि मैंने स्वर्ण पदक जीता। यह मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि थी।

‘ पृथ्वी ने अपने शुरुआती दिनों के बारे में भी बात की और कहा, ‘मूल रूप से, मैं एक सामान्य बच्चे के रूप में पैदा नहीं हुआ था, मैं एक ऐसे बच्चे के रूप में पैदा हुआ था जो कुछ भी नहीं सुन सकता था, इसलिए मेरे माता-पिता मुझे एक स्कूल में ले गए जिसका नाम था- बाला विद्यालय। सभी शिक्षकों ने मेरा समर्थन किया और मुझे बातचीत सिखाने में मदद की।’

अपने प्रारंभिक स्कूल के दिनों के बाद, पृथ्वी एक सीबीएसई स्कूल में चले गए और 8 साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया। पृथ्वी ने 2017 में MBA भी पूरा किया और ICF द्वारा नियुक्त किए गए, जो कि रेलवे का एक हिस्सा है, यहां उन्होंने कई टूर्नामेंटों का प्रतिनिधित्व किया। पृथ्वी जिन्हें, 2019 में इटली आधारित इंटरनेशनल कमेटी ऑफ स्पोर्ट्स फॉर द डेफ (ICSD) के द्वारा इंटरनेशनल स्पोर्ट्समैन ऑफ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, ATP रैंकिंग में शीर्ष 500 में जगह बनाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘मेरा उद्देश्य AITA, ITF जैसे सामान्य टूर्नामेंटों पर ध्यान केंद्रित करना है और देखता हूं कि मैं ग्रैंड स्लैम में उतर सकता हूं या नहीं। मेरा अगला उद्देश्य 2021 में ब्राज़ील में अगले डेफलंपिक्स में स्वर्ण पदक जीतना और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है। इसके अलावा मेरा लक्ष्य ATP रैंकिंग में शीर्ष 600 या 500 में स्थान बनाना है और देखना यह है कि मैं यह कर सकता हूं या नहीं।’

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