Rawat father and sons created unprecedented record by damming the lake of Tehri dam

रावत पिता पुत्रों ने टिहरी बांध की झील लांध बनाया अभूतपूर्व रिकार्ड

विशेष संवाददाता द्वारा

एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध की झील में आज प्रताप नगर विधानसभा के अंतर्गत मोटना गांव के रहने वाले त्रिलोक सिंह (उम्र 50) अपने दो पुत्र ऋषभ (उम्र 18) और पारस (उम्र 16) के साथ कोटि कालोनी से भलडियाना तक 12 किलोमीटर झील की लहरों को चीरते हुए 4 घंटे में तय की और अपने गांव और उत्तराखंड का नाम सुर्खियों में ला दिया।

ऋषभ ने कोटी कॉलोनी से भलडियाना तक 12 किलोमीटर की दूरी 3.घण्टे 30 मिनट में तय की। 3.घण्टे 45 मिनट में और पिता त्रिलोक सिंह रावत ने 12.50 किलोमीटर की दूरी 4 घण्टे 30 मिनट में तय की।

मोटना गांव के रहने वाले त्रिलोक सिंह अपने दो बच्चों के साथ आज टिहरी झील में बिना लाइफ जैकेट पहने हुए कोटी कॉलोनी से भल्डियाना पहुंचे जहां उत्तराखंड सरकार के पूर्व दायित्व धारी मंत्री अतर सिंह तोमर ने इनको 1100 का चैक देकर सम्मानित किया और कहा उत्तराखंड के पहाड़ों में भी आज ऐसी प्रतिभाएं हैं।

जो अभी अवसर के अभाव में दबी पड़ी हैं जिन्हें सरकार हर संभव अवसर प्रदान करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने रावत पिता पुत्रों को आश्वासन दिया कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से मिलकर ऐसी प्रतिभाओं को राज्य स्तर से लेकर राष्ट्र स्तर तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे।

त्रिलोक सिंह ने कहा कि मुझे पहले से ही तैराकी का शौक था और मेरा यह शौक आज सफल भी हुआ है। मैं ओर मेरे दोनों बेटों ने आज कोटी कॉलोनी से भल्डीयाना तक बिना लाइफ जैकेट पहनकर तैरते हुए पहुंच कर जो रिकार्ड बनाया है, उससे आज मेरा सपना पूरा हो गया है।

हमें आज तक राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने के लिए कोई प्लेटफार्म नहीं मिला जिससे हम गांव तक ही सिमट कर रह गए लेकिन मैं अपने बेटों का ट्रेनर बन कर इनको आगे पहुंचाने के लिए पूरी कोशिश करूंगा क्योंकि तैराकी में अभीतक किसी ने कोई रिकॉर्ड नहीं बनाया है।

और टिहरी झील में रिकॉर्ड बनाना अपने आप में अलग हटकर है क्योंकि टिहरी झील में हर समय लहरें चलती हैं और पानी का तापमान एक जैसा नही होता है फिर भी हमने आज जिला प्रशासन से अनुमति मांग कर कोटी कालोनी से भल्डीयाना तक शानदार तैराकी की है।

मेरे बच्चों ने भी कहीं से तैराकी मैं कोई प्रशिक्षण नहीं लिया । मुझे देख कर ही इन्होंने तैराकी सीखा। रावत ने कहा कि स्विमिंग पूल या या अन्य प्लेटफार्म पर तैरना आसान होता है । लेकिन टिहरी झील में लगातार उठ रही लहरों में तैराकी करना सबसे बड़ा कठिन कार्य होता है, जिसे आज हमने करके दिखाया।

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