…….चूँकि खिलाड़ी का कोई  मज़हब नहीं होता!

क्लीन बोल्ड/राजेंद्र सजवान     ‘खुदा का शुक्र है, भारतीय खेल फिलहाल धर्म और जातिवाद से अछूते हैं और खिलाड़ी चाहे किसी भी धर्म या जाति  का हो उसकी देशभक्ति पर कभी उंगली नहीं उठाई गई’। 1975 की विश्व विजेता भारतीय हॉकी टीम के कुछ खिलाड़ियों ने एक समारोह के चलते जब यह प्रतिक्रिया व्यक्त की …

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