एशियन कप: पटेल के दिए जख्मों पर हल्का सा मरहम

राजेंद्र सजवान

लगातार तीन जीत और भारतीय फुटबॉल टीम एशियन कप के मुख्य दौर में पहंच गई है। कोच इगोर इस्तिमेक और टीम प्रबंधन को ख़ुशी मनाने और बड़े-बड़े दावे करने का मौका मिल गया है। लगातार तीन फ्रेंडली मुकाबले हारने के बाद भारतीय टीम के कोच और खिलाड़ी खामोश थे लेकिन अब उन्हें हांकने का मसाला मिल गया है।

   बेशक, खुश होने का मौका है क्योंकि  पिछले कुछ महीनों में भारतीय फुटबॉल ने बहुत कष्टदाई दौर झेला है। परिवार के मुखिया प्रफुल्ल पटेल की धोखाधड़ी और खेल बिगाड़ने की बदनीयत ने भारतीय फुटबॉल को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर न सिर्फ शर्मसार किया अपितु लगातार पिछड़ रही फुटबॉल को लगभग पंचर ही कर डाला था। अब एशियन कप में किए प्रदर्शन से थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। लेकिन यह प्रदर्शन बहुत ज्यादा पागलपन दिखाने और हुडदंग मचाने जैसा नहीं है।

   यह न भूलें कि हमने अपनी मेजबानी में महाद्वीप की तीन सबसे फिसड्डी टीमों को हराकर आगे बढ़ने का सम्मान हासिल किया है। हमेशा की तरह सुनील क्षेत्री स्टार बनकर उभरे। फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ अन्य खिलाड़ी भी गोल जमाने में सफल रहे जिन्हें कोच और भंग फेडरेशन के जी हुजूर क्षेत्री का विकल्प तक बताने लगे हैं। बेशक, यह उनका दिमागी दीवालियापन है। यह भी कह सकते हैं कि पटेल के अलावा देश के फुटबॉल प्रेमियों को गुमराह करने वाले और भी बहुत हैं।

   फिलहाल ब्लू टाइगर्स (जो होता नहीं) को बधाई। पटेल के 14 सालों का कार्यकाल भारतीय फुटबॉल के लिए बनवास जैसा था, जिसमें कुछ भी उल्लेखनीय नहीं रहा। विश्व कप और ओलम्पिक खेलने के बड़े-बड़े दावों को सुन-सुन कर कान पक गए थे जबकि एशियाई खेलों और एशिया कप में भी भाग लेने के लाले पड़े रहे। देखना यह होगा कि पटेल की जगह पर कौन नेता अभिनय करने आता है और देश कि फुटबॉल को कैसे कैसे सब्जबाग दिखाता है।

   फीफा रैंकिंग में अपने से बेहतर टीम को भारत ने सालों पहले जरूर हराया होगा लेकिन एशियन कप में अब सभी मुकाबले टफ होने जा रहे हैं। पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी और फ़ुटबॉल जानकारों की राय में यदि भारतीय टीम पहले आठ में भी स्थान बना लेती है तो काफी रहेगा। इसके बाद की राह आसान नहीं है। एशिया के लगभग दर्ज़न भर देश भारत से बहुत आगे चल रहे हैं, जिनसे पार पाकर विश्व कप खेलने का सपना देखा जा सकता है।   ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भारतीय फुटबॉल को सुनील क्षेत्री का विकल्प भी तैयार करना है। वर्ना क्या हो सकता है भारतीय फुटबॉल के कर्णधार बखूबी जानते हैं।

1 thought on “एशियन कप: पटेल के दिए जख्मों पर हल्का सा मरहम”

  1. Sajwan Bhai saab apnei sahi farmaya Blue tigers aur football lovers kei liyei nihayat he khushi ki baat hai, dusri aur football kei mukhi prafuul patel ko bhi kismat nei saath diya hai, kuch na bhi krtei huei team accha pardarshan kr rahi hai!
    Jo bhagwan ko manzoor!
    🍁⚽️🎼🏆

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