बस छेत्री अब और नहीं!…आखिर कब तक भारतीय फुटबॉल की लाश ढोते रहोगे

  • हर खिलाड़ी के मैदान पर डटे रहने की सीमा होती है और सुनील छेत्री शायद उस सीमा को पार कर चुके हैं
  • इसमें कोई दो राय नहीं है कि वह कई सालों से भारतीय फुटबॉल की जान रहे हैं और यदि कहीं भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है तो उसमें उनका योगदान बढ़-चढ़ कर रहा है
  • भारतीय फुटबॉल के लिए यह गौरव की बात है कि छेत्री को लियोनेल मेस्सी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो के समकक्ष आंका गया
  • छेत्री को अब खुद ही अपने भविष्य को लेकर राय बना लेनी चाहिए और यही उनके हित में रहेगा
  • अब किसी और खिलाड़ी को मौका देना होगा। हालांकि उनके जैसा प्रतिभावान कोई नजर नहीं आता लेकिन विकल्प तो खोजना ही पड़ेगा

राजेंद्र सजवान

भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री वर्ल्ड कप 2026 के लिए अगले क्वालीफायर्स के लिए कमर कस रहे हैं। उन्हें भरोसा है कि भारतीय फुटबॉलर इस बार बेहतर प्रदर्शन करेंगे, क्योंकि उनको तैयारियों के लिए बेहतर अवसर मिला है।

 

  इसमें कोई दो राय नहीं है कि सुनील छेत्री कई सालों से भारतीय फुटबॉल की जान रहे हैं। यदि कहीं भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है तो उसमें उनका योगदान बढ़-चढ़ कर रहा है। यह भी सच है कि बाईचुंग भूटिया के संन्यास के बाद सुनील ने फ्रंट से देश की टीम का नेतृत्व किया है और जब कभी जरूरत पड़ी तो गोल जमाकर भारतीय फुटबॉल को जिंदा रखने का प्रयास भी किया है। लेकिन हर खिलाड़ी के मैदान पर डटे रहने की सीमा होती है और छेत्री शायद उस सीमा को पार कर चुके हैं।

  भले ही विदेशी कोच और अखिल भारतीय फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) छेत्री की आड़ में अपनी दुकान चलाते रहें, लेकिन अब वक्त हो गया है। छेत्री को अब खुद ही अपने भविष्य को लेकर राय बना लेनी चाहिए। यही उनके हित में रहेगा। एक ना एक दिन हर खिलाड़ी को मैदान से हारना पड़ता है। यदि वह समय रहते इस सच्चाई को समझ जाए और सही फैसला ले, तो उनका मान-सम्मान हमेशा बना रहेगा। चूंकि वह अपना श्रेष्ठ दे चुके हैं इसलिए उन्हें भी संन्यास लेकर किसी और भूमिका में भारतीय फुटबॉल की सेवा करनी चाहिए, ऐसा अधिकतर फुटबॉल प्रेमियों का मानना है।

   लगातार 12 मैचों में अजेय रहना का रिकॉर्ड ढह चुका है। इस बीच बेहद कमजोर टीमें भी भारत को पीट चुकी हैं। अब आलम यह है कि हार-दर-हार से फीफा रैंकिंग भी गिर रही है। भारतीय फुटबॉल के लिए यह गौरव की बात है कि छेत्री को लियोनेल मेस्सी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो के समकक्ष आंका गया। उन दोनों को दुनिया भर में गोल करने की कलाकारी के लिए जाना पहचाना जाता है लेकिन वह उनके जैसा कदापि नहीं है। छेत्री ने फिसड्डी टीमों के खिलाफ ज्यादा गोल जमाए हैं, क्योंकि उन्हें बड़ी टीमों के खिलाफ खेलने के मौके नसीब नहीं हुए।

 

  एशियाड और मर्डेका कप को देखें तो भारतीय फुटबॉल टीम ने शर्मनाक प्रदर्शन किया। भले ही छेत्री मैदान पर डटे रहे लेकिन अब किसी और खिलाड़ी को मौका देना होगा। हालांकि उनके जैसा प्रतिभावान कोई नजर नहीं आता लेकिन विकल्प तो खोजना ही पड़ेगा। आखिर कब तक एक खिलाड़ी भारतीय फुटबॉल की लाश ढोता रहेगा।  

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *