Corona time the IPL is a surprise where the olympics find it hard to compete

…चूंकि कोरोना आईपीएल का साला लगता है?

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान

पूरा विश्व कोरोना महामारी की जकड़ में है, जिससे बाहर निकलने के लिए आम से खास इंसान छटपटा रहा है। कोरोना के अलावा यदि कुछ और चर्चा का विषय है तो वह यह कि कोरोना के चलते टोक्यो ओलम्पिक संभव हो पाएगा या नहीं! लेकिन अपने देश में बीमारी से भी ज़्यादा चर्चा इस बात कि है कि क्या टोक्यो ओलंपिक निर्धारित समय में बिना किसी व्यवधान के निपट पाएगा?

भारतीय नज़रिए से देखें तो ओलंपिक वर्ष में भी ओलंपिक खेलों की चर्चा सिर्फ़ इतनी है कि हमारे कौन कौन से खिलाड़ी और खेल टोक्यो का टिकट कटा पाएँगे। जहाँ एक तरफ गली गली में क्रिकेट खिलाड़ियों की चर्चा है और उन पर बड़े बड़े दाँव खेले जा रहे हैं तो ओलंपिक में पदक जीतने को लेकर कुछ खास उत्सुकता दिखाई नहीं पड़ती।

संभवतया ऐसा इसलिए है, क्योंकि आम भारतीय खेल प्रेमी यह मान चुका है कि देश की आन बान और शान को मापने वाले ओलंपिक पदक जीतना अपने खिलाड़ियों के बूते की बात नहीं है। दूसरी तरफ क्रिकेट के धूम धड़ाके में क्षणिक ही सही लेकिन सुकून ज़रूर मिलता है। यही कारण है कि क्रिकेट के चाहने वाले करोड़ों में हैं और बाकी खेलों के कुल खेल प्रेमी उंगलियों पर गिने जा सकते हैं।

जो लोग क्रिकेट को कोसते हैं उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि कुछ साल पहले तक क्रिकेट की हालत भी बहुत अच्छी नहीं थी। क्रिकेटरों को भी मुट्ठी भर पैसे मिलते थे, उनकी माली हालत भी बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन साल दर साल क्रिकेट को संचालित करने वाली बीसीसीआई ने खेल और खिलाड़ियों की बेहतरी के तरीके ईजाद किए। धीरे धीरे अपने खेल को पेशेवर रंग दिया और आज क्रिकेट कहाँ है किसी से छिपा नहीं है।

अन्य भारतीय खेलों की बात करें तो कभी क्रिकेट की अपेक्षा हॉकी और फुटबाल की स्थिति बहुत अच्छी थी। एथलेटिक आदि खेलों में भी हालात इतने बुरे नहीं थे। लेकिन तमाम ओलंपिक खेलों में अवसरवादी नेताओं और लुटेरे प्रशासकों की घुसपैठ के कारण खेल बिगड़ता चला गया। आज वही लोग अपनी हरकतों पर शर्मिंदा होने की बजाय क्रिकेट को कोसते हैं तो हैरानी होती है।

तारीफ की बात यह है कि अपने तेरहवें संस्करण तक पहुँचने के बाद भी आईपीएल लगातार रफ़्तार पकड़ रहा है। खिलाड़ी, अधिकारी और हर कोई मालामाल हो रहा है। यही कारण है कि हर बच्चा और युवा क्रिकेटर बनाना चाहता है। जोरदार प्रतिस्पर्धा के बावजूद भी हर किसी को क्रिकेट में भविषय सुरक्षित नज़र आता है। शायद इसी लिए आईपीएल कोरोना को ललकार रहा है और ओलम्पिक खेलों को चिढ़ा रहा है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *