DFC - Garhwal FC Supporters of two competing teams collide

डीएफसी- गढ़वाल एफसी: दो टक्कर की टीमों के समर्थक टकराए तो!

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान

दिल्ली की फुटबाल में एक नया चैम्पियन उभर कर आया है, जिसका स्वागत करने कुछ स्थानीय क्लब और उनके पदाधिकारी खुल कर सामने नहीं आ रहे हैं। कारण, दिल्ली फुटबाल क्लब(डीएफसी ) नाम का यह नया चैम्पियन एक ऐसा क्लब है जिसको पूरी तरह पेशेवर दर्ज़ा प्राप्त है, जबकि दिल्ली के अधिकांश क्लब तंगहाली के दौर से गुजर रहे हैं।

मोहाली स्थित मिनर्वा फुटबाल अकादमी और स्थानीय डीएफसी के मंथन से निर्मित यह क्लब साल 2021 की दिल्ली फुटबाल लीग का विजेता बन चुका है । हालाँकि प्रीमियर लीग का समापन छह जनवरी को होना है लेकिन डीएफसी सात जीत और एक ड्रा के साथ पहले ही शीर्ष पर जा चढ़ी है और मुकुट उसके सर सजना तय है।

गढ़वाल हीरोज ही ऐसा एकमात्र क्लब है जिसने नये चैम्पियन को कड़ी टक्कर ही नहीं दी बल्कि उसे यह अहसास भी कराया कि डीएफसी के एकाधिकार के लिए वह सबसे बड़ी बाधा है। गढ़वाल और डीएफसी के बीच पिछले दो सालों में तीन मुकाबले हुए हैं और तीनों ही ड्रा रहे। इस साल के लीग और सुपर लीग में भी दोनों टीमें बराबरी पर खेल कर अपना सम्मान बचा पाई हैं।

लेकिन आने वाले सालों में गढ़वाल को कुछ और सुधार करने होंगे । उसे पता होगा कि चंडीगढ़ का मिनर्वा क्लब पूरी तरह पेशेवर है और उसके अधिकांश खिलाडी आई लीग में भाग लेते हैं। पैसा, साधन, मैदान और सब तरह कि सुविधाओं से लैस होकर ही डीएफसी दिल्ली का चैम्पियन बना है। इस कामयाबी में उसके दिल्ली प्रतिनिधियों पूर्व खिलाडी हेमचंद और मेहरा का योगदान भी बढ़ चढ़ कर रहा है।

फिलहाल गढ़वाल दूसरे स्थान की दौड़ में शामिल है लेकिन भविष्य के लिए टीम प्रबंधन को कुछ जरुरी बदलाव करने पड़ सकते हैं। श्रेष्ठ खिलाडियों और कोचों का चयन पहली चुनौती रहेगी। यह सही है कि डीएफसी साधन संपन्न क्लब है लेकिन गढ़वाल की ताकत उसके अपने लोग और पूर्व खिलाडी रहे हैं, जिनका योगदान भले ही ज्यादा न रहा हो लेकिन मनोवैज्ञानिक सपोर्ट गढ़वाल हीरोज को चैम्पियन बनाने में बड़ी भूमिका निभाता आया है। उसके अपने गढ़वाली और कुमाउनी मूल के खिलाडी और समर्थक टीम के लिए जी जान लुटाने का जज़्बा रखते हैं। शायद यही क्लब की ताकत भी है।

बेशक, डीएफसी की काट आसान नहीं होगी लेकिन स्थानीय क्लब अधिकारी मानते हैं कि गढ़वाल ही उसे कड़ी टक्कर दे सकती है और पछाड़ भी सकती है। अन्य क्लबों में फ्रेंड्स यूनाइटेड, रॉयल रेंजर्स, हिन्दुस्तान, सुदेवा एफसी, उत्तराखंड एफसी, रेंजर्स एफसी , इंडियन एयर फ़ोर्स और तरुण संघा मूल चूल बदलाव के बाद नये चैम्पियन के लिए ख़तरा बन सकते हैं।

गढ़वाल को अपने वर्षों पुराने समर्थकों का साथ मिल रहा है तो डीएफसी के ज्यादातर समर्थक युवा हैं। इस बार के लीग मुकाबलों में विजेता टीम के समर्थकों को लेकर आयोजकों को परेशानियां पेश आईं, खासकर , गढ़वाल और डीएफसी के बीच खेले गए मैचों में समर्थक आक्रामक नजर आए। डीएसए को इस और गंभीरता से ध्यान देना होगा, कभी भी कुछ भी अप्रिय घटित हो सकता है। स्थानीय इकाई को दर्शकों के भद्दे नारों और अश्लील हरकतों की रोकथाम की और भी ध्यान देना होगा।

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